22/September/2021, IST 21:51 PM

SAARC Meeting 2021- हर साल दक्षिण एशियाई देशों का एक संगठन मिलकर बैठक करता है। जिसमें कई तरह के निर्णय लिए जाते हैं। इस बार भी यह बैठक होनी थी, और यह न्यूयार्क में आयोजित होनी थी।
परंतु पाकिस्तान इस बैठक में तालिबान की जो सरकार अफगानिस्तान में बनी है, उसको भी शामिल करना चाहता था। पाकिस्तान ने जब यह प्रस्ताव सार्क के अन्य देशों के सामने रखा तो भारत के साथ सभी देशों ने इसका विरोध किया और तालिबान को बैठक में शामिल करने से मना कर दिया। परंतु पाकिस्तान अपनी बात पर ही रुका रहा, और तालिबानियों को इस बैठक में शामिल करने पर जोर देता रहा। जिसके बाद पाकिस्तान को ऐसा जोरदार झटका लगा कि वह इस से कुछ सबक जरूर ले लेगा, क्योंकि सभी देशों ने मिलकर यह फैसला किया कि यह बैठक रद्द कर दी जाए, और फिर बैठक को रद्द कर दिया।
यह बैठक शनिवार को अमेरिका, न्यू यॉर्क में आयोजित की जानी थी, लेकिन अब यह रद्द हो चुकी है।
सूत्रों के माध्यम से पता चला है कि पाकिस्तान ने चालाकी और चालबाजी खेलकर यह कोशिश की, कि इस बैठक में तालिबान की सरकार भी शामिल हो सके, उसने सभी के सामने यह मांग की। लेकिन शार्क बैठक में जितने भी देश हिस्सा लेते हैं, उनमें से भारत के साथ लगभग सभी देशों ने पाकिस्तान की इस मांग को सिरे से नकार दिया, जिसके बाद सहमति नहीं बन पाई और यह बैठक रद्द करनी पड़ी। ज्यादातर देश यही चाहते थे कि अफगानिस्तान इस बैठक से दूर ही रहे। लेकिन पाकिस्तान अपनी बात पर ही कायम रहा, जिसकी वजह से कोई उपयुक्त हल न निकलने की वजह से इस बैठक को रद्द कर दिया गया।
तालिबान एक ऐसी सरकार है जिसको दुनिया में ज्यादातर देश स्वीकार नहीं रहे हैं। तालिबान को यूएन से भी मान्यता नहीं मिल सकती, और ना ही किसी यूएन द्वारा आयोजित की गई बैठक में उन को शामिल किया जा सकता है। क्योंकि तालिबान ने जो सरकार बनाई है, उसमें कई आतंकवादी ऐसे शामिल है, जिन्हें यूएन ने आतंकवादी घोषित कर रखा है।
लगभग 1 महीने पहले सहयोग संघाई संघ द्वारा एक बैठक आयोजित की गई थी जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हुए थे। इसमें नरेंद्र मोदी ने भी तालिबान पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। उन्होंने कहा था कि कोई भी देश तालिबान को मान्यता देने से पहले सोचें। उन्होंने कहा था कि यहां की सरकार समावेशी नहीं है, और कहा कि तालिबान ने यहां महिलाओं को भी उनके अधिकारों से दूर रखा है। इसीलिए तालिबान सरकार को मान्यता देने से पहले इस पर विचार करने की सख्त आवश्यकता है।