दुनिया सोच रही है कि अफगानिस्तान में तालिबान को कब्जा करने में अभी कितना वक्त लगेगा। लेकिन तालिबानी उससे भी आगे की सोच रहे हैं। वो पूरा प्लान बनाकर बैठे हैं कि पूरे अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद मंत्रिमंडल तक कैसा होगा। लेकिन सब कुछ हांसिल करना ही तालिबान के लिए इतना भी आसान नहीं है क्यूंकि जंग अभी खत्म नहीं हुई है। पंजशीर प्रांत (Panjshir Province) अब भी तालिबानी लड़ाकों के लिए चुनौती बना हुआ है।
ख़बरों की माने तो तालिबान ने अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत में घुसने का दावा किया है और कहा है लड़ाकों ने शूतर जिले पर कब्जा कर लिया है। वहीं नॉर्दर्न एलायंस (Northern Alliance) ने बड़ी संख्या में तालिबानियों को मारने और पकड़ने का दावा किया है। नॉर्दर्न एलायंस (Northern Alliance) ने ट्वीट कर 350 तालिबानियों के मारने का दावा भी किया है।
रात को भी हुई थी मुठभेड़
सोशल मीडिया प्लेटफ्रॉम ( Social Media) ट्वीट में नॉर्दर्न एलायंस ने कहा, ‘बीती रात खावक इलाके में हमला करने आए तालिबान के 350 लड़ाकों को मार गिराया है, जबकि 40 से ज्यादा पकड़े गए हैं और उन्हें कैद किया गया है। इस दौरान एनआरएफ को कई अमेरिकी वाहन, हथियार और गोला-बारूद मिले हैं।’ इससे पहले मंगलवार रात को भी तालिबान ने पंजशीर में घुसने की कोशिश की, जहां उसका मुकाबला नॉर्दन एलायंस के लड़ाकों से हुआ और दोनों गुटों के बीच जबरदस्त मुठभेड़ हुई। वहीं स्थानीय पत्रकार ने भी ट्वीट कर जानकारी दी है कि अफगानिस्तान के पंजशीर स्थित गुलबहार इलाके में तालिबान लड़ाकों और नॉर्दन एलायंस के बीच झड़प के बाद कई तालिबानी लड़ाके को बंधक बना लिया गया।
जानकारी के मुताबिक तालिबान और नॉर्दर्न एलायंस के लड़ाकों के बीच गोलीबारी हुई थी। इससे पहले इस हमले में हमले में 7-8 तालिबानी लड़ाकों के मारे जाने की खबर है। बताया जा रहा है कि पंजशीर अभी भी तालिबान के कब्जे से दूर है, यहां पर नॉर्दर्न एलायंस अहमद मसूद की अगुवाई में तालिबान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है।
कहां है पंजशीर?
काबुल से 150 किलोमीटर दूर उत्तर में स्थित पंजशीर घाटी हिंदुकुश के पहाड़ों के करीब है। उत्तर में पंजशीर नदी इसे अलग करती है। पंजशीर का उत्तरी इलाका पंजशीर की पहाड़ियों से भी घिरा है। वहीं, दक्षिण में कुहेस्तान की पहाड़ियां इस घाटी को घेरे हुए हैं। ये पहाड़ियां सालभर बर्फ से ढकी रहती हैं। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि पंजशीर घाटी का इलाका कितना दुर्गम है। इस इलाके का भूगोल ही तालिबान के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन जाता है।
दरअसल 1980 के दशक में सोवियत संघ का शासन, फिर 1990 के दशक में तालिबान के पहले शासन के दौरान अहमद शाह मसूद ने इस घाटी को दुश्मन के कब्जे में नहीं आने दिया। पहले पंजशीर परवान प्रोविंस का हिस्सा थी। 2004 में इसे अलग प्रोविंस का दर्जा मिल गया। अगर आबादी की बात करें तो 1.5 लाख की आबादी वाले इस इलाके में ताजिक समुदाय की बहुलता है। मई के बाद जब तालिबान ने एक बाद एक इलाके पर कब्जा करना शुरू किया, तो बहुत से लोगों ने पंजशीर में शरण ली। तब से यहां से तालिबान को लगातार कड़ी चुनौती मिल रही है।